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International yoga day” Celebrated in Gwalior

“एक सुखद यात्रा योगासन से राजयोग तक की”

ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माधवगंज लश्कर ग्वालियर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में अपने जीवन में संपूर्ण सुख शांति एवं स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए कार्यक्रम “एक सुखद यात्रा योगासन से राजयोग तक की” का आयोजन किया गया| जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में श्री किशन मुदगल जी(महासचिव म.प्र. कांग्रेस कमेटी) उपस्थित थे| कार्यक्रम में मुख्य रूप से ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय  मुख्यालय माउंट आबू से बी. के. गंगाधर (संपादक, ओम शान्ति मीडिया), प्रो. कमल दीक्षित (पूर्व विभागाध्यक्ष माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्व विद्यालय भोपाल), बी. के. अनुज (पूर्व संपादक साधना पत्र मैगजीन,दिल्ली) के साथ बी के आदर्श दीदी(सेवाकेंद्र संचालिका), बी के ज्योति दीदी, बीके प्रहलाद भाई उपस्थित थे| श्री किशन मुद्गल जी के द्वारा इस कार्यक्रम के लिए सभी को शुभकामनायें दी गयी|

भोपाल से आये हुए प्रो. कमल दीक्षित जी ने कहा कि केवल शरीर को स्वस्थ रखने से हम पूरी तरह आनंदमय सुखमय नहीं हो सकते|जब तक कि हम अपने सत्य स्वरुप को नहीं जान लेते कि में कौन हूँ| इसलिए सर्वप्रथम जरुरी है कि हम स्वयं को जानें| शरीर से हम क्रियाएँ कर सकते हैं लेकिन शरीर से ज्यादा चंचल हमारा मन है  और यह संसार पूरा मन से बसा हुआ है और हमारा मन पूरी तरह संसार में लगा हुआ है| वर्तमान समय जो स्थिति है उसमें हम ना सुखी हैं ना ही हमारे जीवन में शांति है और सुख-शांति हम सभी अपने जीवन में चाहते हैं और वह हम सभी के जीवन में अस्थायी रूप से आती है| यदि हम स्थायी रूप से अपने जीवन में सुख शांति चाहते हैं इसके लिए सर्वप्रथम हमें अपने मन को शुद्ध करना होगा और मन को शुद्ध करने का तरीका है हमें उसे शुद्ध विचारों से ताकत देनी होगी| जैसे जैसे हमारा मन शुद्ध विचारों से भरता जायेगा वैसे ही वह हमारे आचरण व्यवहार से प्रत्यक्ष होता जायेगा| और यह संपूर्ण प्रक्रिया प्रारंभ होगी योगासन से| लेकिन उसे योगासन पर ही समाप्त नहीं कर देना है उसे राजयोग तक लाना हैं अर्थात उस दिव्या सत्ता परमपिता परमात्मा के साथ अपन सम्बन्ध जोड़ना है|

दिल्ली से आये हुए बी के अनुज भाई ने बताया कि राजयोग और योगासन दोनों का ही गहरा सम्बन्ध है| दोनों का ही सम्बन्ध ध्यान अर्थात एकाग्रता से है| जब हम किसी कार्य को एकाग्रता से करते हैं तो उसमें ताकत आती है जब तक हमारे अन्दर अटेंशन नहीं तब तक ना हम राजयोग कर सकते हैं ना  ही योग कर सकते हैं बिना अटेंशन   हम दोनों में से किसी का भी लाभ प्राप्त नहीं कर सकते| आयुर्वेद में कहा गया है कि जिस दिन आपको अपना शरीर भूला हुआ है आप निरोगी हैं|

माउंट आबू से आये बी के गंगाधर भाई ने कहा कि सबसे पहला पायदान है “खुद को जानो”| यदि हम खुद को जान गए तो उस खुदा से हम अपने आप ही जुड़ जायेंगे| यदि हम स्वयं को जान गए तो हम अपने जीवन को जी- भरकर जी पाएंगे, अपने संबंधों को अच्छी तरह से निभा पाएंगे और संबंधों में सुमधुरता का अनुभव कर पाएंगे| राजयोग माध्यम है अपनी जीवन शैली को सुव्यवस्थित करने का तो हम जहाँ भी रहें हम इसे वहाँ ही कर सकते हैं और अपने जीवन को  भरपूर जी सकते हैं|

सेवाकेंद्र संचालिका बी के आदर्श दीदी जी ने योगासन के महत्व को स्पष्ट किया और बताया कि राजयोग सारी योग पद्धतियों का राजा है| राजयोग आंतरिक और बाह्य दिव्यता को प्रत्यक्ष करता है| राजयोग में मुख से मन्त्रों का उच्चारण नहीं किया जाता बल्कि स्व अर्थ में टिकने को कहा जाता है जिससे हमारी संचेतना का स्तर तेजी से बदलता है| राजयोग देह व देहभान से निकलने का तथा बार-बार स्वयं को आत्मा समझने के लिए इशारा करता है| आत्मा ही जीवनी शक्ति दिव्य शक्ति है जो हमारे भौतिक शरीर को संचालित करती है| राजयोग हमारे आधुनिक जीवन के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का अभिन्न अंग है जो हमें जीवन के वास्तविक अर्थ, उददेश्य को समझने तथा इसकी चुनोतियों का सामना करने में सहायता करता है| साथ ही जीवन में तनाव से मुक्ति, संबंधो में मधुरता, नुकसान और भय पर नियंत्रण, आंतरिक स्थिरता और संतुष्टता के साथ व्यक्ति का जीवन खुशनुमा हो जाता है और सुख, शान्ति, स्वास्थ्य से भर जाता है|